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लेखनी प्रतियोगिता -04-Aug-2022 वो दोस्ताना

दोस्ती के दिन वो सुहाने थे 
कॉलेज में अपने अफसाने थे 
हमारी दोस्ती एक मिसाल थी 
अपनी जोड़ी क्या कमाल थी 

साथ रहना, लड़ना झगड़ना 
बहसबाजी चीखना चिल्लाना 
तितलियों का वो पीछा करना 
पटाने के नये नये जतन करना 

बिना देखे काम नहीं चलता 
बतियाते हुए मन नहीं भरता 
साथ सोते साथ साथ जगते 
तैयारी भी हम साथ ही करते 

सुख दुख के हम साथी थे 
जैसे कि दीया और बाती थे 
खुली किताब की भांति थे 
दिल दूल्हा , हम बाराती थे 

इस नौकरी ने हमें अलग किया 
घर गृहस्थी में ऐसा उलझा दिया
वो मस्ताने दिन अब हवा हो गए 
वो हसीन किस्से सब दफा हुए 

दोस्ती की महक आज तक है 
ठहाकों की खनक आज भी है 
समय के साथ हम भी ढल गए 
अब बीवी के ही दोस्त बन गए 

श्री हरि 
4.8.22 


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8 Comments

Punam verma

05-Aug-2022 08:42 AM

Very nice

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Abhinav ji

05-Aug-2022 07:36 AM

Very nice👍

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Khan

05-Aug-2022 12:09 AM

Nice

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